Wednesday, May 12, 2010

Exam end hone ke agle Din

Aaj शायद mujhe कॉलेज कॉलेज छोड़ने का सबसे ज्यादा दुःख हो रहा है.
मै आज bhi उन दिनों को याद कर सकता हूँ, जब सबसे पहले दिन मैंने जामिया मिअल्लिया इस्लामिया उनीवेर्सिटी में पहली बार कदम रखा था.बात वो ४ जून कि है . मेरी मुलाकात एक मेरे ही जैसे हालात के मारे इंसान से होती है. हम दोनों साक्षात्कार के लिए आये हुए थे पैर दोनों ही उस डेट पर नहीं आये थे जब हमारा साक्षात्कार होना था. मेरी निगाहे भीड़ से उस इंसान को ऐसे तलाशती हैं जैसे सकड़ो फीट ऊँचाई से चील अपने शिकार को ढूंढ लेता है . एक कोने में मुझे संतोष दिखाई देता है. हमारी समस्या एक ही थी. अतः दोस्ती होने में ज्यादा वक़्त nahi लगा. आगे चलकर हम रूम मेट भी बने. किसी तरह प्राथना करने से हमारा साक्षात्कार उस दिन हुआ. पर मालूम नहीं था कि किस्मत हमें आगे के लिए एक दूसरे का इतना अच्छा दोस्त बना देगी.ham dono ka selection ho gaya and hamen Computer Engineering Branch bhi mil gayee.......